नजर वाले को हिन्दू और मुसलमान दिखता हैं,
मैं अन्धा हूँ साहब, मुझे तो हर शख्स में इंसान दिखता हैं
Bech du kya sari pareshaniyo ko..maut unka bahot achha dam derahi hai…
मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं,
मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना
दोस्तो ऐसा नहीं कि कद घट गए अपने,
चादर को अपनी देखकर हम खुद सिमट गए
हर नजर में मुमकिन नहीं है बे-गुनाह रहना,
वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें।